मंगलवार, 9 जून 2015

इंडोलोजी का दुष्प्रभाव 2


गुलामी से लड़ने वाले बड़े योद्धा भी कई बार गुलाम बनान वाले के षडयंत्र के शिकार हो जाते हैं। भारत का दुर्भाग्य रहा कि साम्यवादी, गांधीवादी, लोहियावादी या संघी शायद ही कोई इससे बचा। लोकमान्य तिलक शायद बचे पाये हों। यह जानना दुखद भले हो लेकिन सामान्य लोगों की आंख खोलने वाला होगा। जो लोग प्राचीन इतिहास, भारतीय इतिहास या संस्कृति पर आमतौर पहले बोतले लिखते हैं, उन्हें मेरी बात आसानी से पचने वाली नहीं है क्योंकि वे तो स्वयं उसी बौद्धिक गुलामी को आदर्श मान कर काम कर रहे हैं।
यदि पैमाना ही गलत हो, बिंब उलटे हों तो नाप और चित्र कैसे सही हो सकते हैं? 
बिनोबा भावे का समाज में ही नहीं मेरे घर और मेरे मन में भी आदर है लेकिन बड़े लोगों की भूल भी अनुकरणीय नहीं हो सकती। बिनोबा भाव ऐसे व्यक्ति रहे जिन्हें गणित ज्योतिष की अच्छी जानकारी थी। शरीर छोड़ने के कुछ दिनों पूर्व तक गणित का अभ्यास करते थे और एक कार्ड रूपी अभ्यास पुस्तिका दनके शिरहाने रखी होती थी। ये सारे विवरण उनके आश्रम से प्रकाशित मैत्री पत्रिका में दर्ज हैं।
बिनोबा जी एक बड़े दार्शनिक थे। भारतीय दर्शन और खाश कर वेदांत दर्शन पर उन्होंने बिलकुल नई स्थापना दी है। प्रायः लोग इस बात को नहीं जानते। ‘‘ब्रह् सत्यं जगत्स्फूर्तिः, जीवनं सत्यशोधनम्’’ ब्रह्म सत्य है या सत्य ब्रह्म है और जीवन सत्य के शोधन के लिये है। इस पर उन्होंने प्रवचन भी दिये। वे चाहते थे तो एक नया संप्रदाय भी बना सकते थे फिर भी उन्होंने ऐसा काम नहीं किया।
ऐसा विलक्षण विद्वान, संस्कृतज्ञ, गणितज्ञ, दार्शनिक और उच्च्तम कोटि का साधक, जैसा योग पर ‘‘महागुहा में प्रवेश’’ जैसी पुस्तक लिखने वाला, भारत की लगभग संपूर्ण संत परेपरा का अध्येता अनेक भाषाओं का जानकार तथा अपनी स्वेच्छा से योगियों वाली अपनी मौत को आमंत्रित करके दिखा देने वाला व्यक्ति भी इंडोलोजी के दुष्प्रभाव से नहीं बच सका।
विनोबा जी ने दर्शन और योग पर तो समय लगाया लेकिन साधना की लोक परंपरा को ही भूल गये। ऐसी सरल बात जो पूरे भारत में आसानी से स्वीकृत है विनोबा जी से छूट गई। सतबहिनी, सप्त मातृका की पूजा ग्राम देवी के रूप में पूरे भारत में होती है। इनके साथ एक भैरव जी भी होते हैं। यह सात प्रकार की देवियों की विविधता पूर्ण साधना परंपरा का समन्वित रूप है। बिनोबा जी चाहते तो इस विषय को अच्छी तरह समझ सकते थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका। उन्होंने अपने विद्या बल का प्रयोग कर दिया और विफल भी हो गये। अगले अंक में जारी.............

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