बहुरंग

बहुरंगी दुनिया के साथ डॉ.रवीन्द्र कुमार पाठक के संवाद तथा रचना का संसार

चित्र विचित्र

चित्र विचित्र
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! Twitter पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें संदेश (Atom)

मेरे बारे में

Ravindra Kumar Pathak
sanatani,traditional yoga practitioner,meditation teacher, writer of 6 books, 4 published, supporter of traditional social wisdom, and tantra tradition of Siddhas
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

कुल पेज दृश्य

पेज

  • मुखपृष्ठ
  • संयोग
  • चित्र विचित्र
  • अभिनव धर्मशास्त्र
  • सम्मोहन/विमोहन
  • गया श्राद्ध
  • List of Some Posts

फ़ॉलोअर


View Bahurang Stats

यह ब्लॉग खोजें

लोकप्रिय पोस्ट

  • वागर्थ
    वागर्थ 1 वागर्थाविव संपृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये। जगतः पितरौ वन्दे, पार्वती-परमेश्वरौ।। वाक्-वाणी एवं उसका अर्थ मिलकर हुए वागर्थ। ये आप...
  • मेरी भैरव साधना
    मेरी भैरव साधना मैं बनारस के नगवाँ गाँव में रहता था। यह गाँव शहर से सटा हुआ था। अस्सी से दक्षिण नगवाँ गाँव है। शहर के पास, लेकिन मजा गाँव...
  • यमांतक क्रोधराज की साधना
    यमांतक क्रोधराज की साधना मगध प्रयोगभूमि है, सिद्धों की भूमि है। सिद्ध शरीर, मन एवं प्रकृति, तीनों के रहस्यों को जानकर एक से एक सुविधाज...
  • रसो वै सः वह रस है
    रसानुभूति 2 रसो वै सः वह रस है इस वेद वाक्य को भी ब्रह्म का अर्थ बताने वाला माना जाता है। मतलब कि वह ब्रह्म रस है। रस शब्द कई अर्थों  ...
  • भाषा बोध 1
    वागर्थ 4 भाषा बोध - अन्विताभिधान वाद और अभिहितान्वय वाद प्रश्न यह है कि यह जो मुंह से निकलने वाली बैखरी वाणी है, जो निकलते ही बिखर जा...
  • भारतीय इतिहास लेखन के पूर्वाग्रह
    भारतीय इतिहास लेखन के पूर्वाग्रह यह मुद्दा इतिहास के छात्रों के बीच प्रायः और राजनेताओं तथा आम आदमी के बीच रुकरुक कर चर्चित होता रहता ह...
  • बहुरंग : रवीन्द्र कुमार पाठक के संस्मरण
    मेरे जाने-अनजाने मित्र गण! नमस्कार। मैं ने भी ब्लाग की दुनिया में पैर रखा है। 30 साल की घुमक्कड़ी विविध सामाजिक प्रयोग एवं दुर्लभ व्यक्तिय...
  • इस बार सत्तू पर एकादशी की चोट और बृहस्पति का प्रकोप
    इस बार भी सत्तू खाने के उत्सव वाला दिन आ ही गया। इस दिन की प्रतीक्षा अनेक लोगों को रहती है। नए चने का सत्तू, बौराया हुआ आम या टिकोरा, शुद्ध ...
  • (शीर्षकहीन)
    बोधिसत्त्व जीमूतवाहन की कथा का विकास  बृहत्कथा से भुइयाँ की कुलपूजा तक भगवान बुद्ध ने बहुजन हिताय धर्म की देशना की और अपने अनुयायी भ...
  • भरोसेमंद मुद्रा
    देशी अर्थशास्त्र - मुद्रा एवं माया मुद्रा माया का प्रगट रूप है। माया मतलब न पूरी तरह झूठ , न पूरी तरह सच। कब धोखा दे दे , क्या पता ? ...

ब्लॉग आर्काइव

  • ▼  2017 (6)
    • ▼  अगस्त (1)
      • भरोसेमंद मुद्रा
    • ►  जुलाई (1)
    • ►  मई (1)
    • ►  मार्च (1)
    • ►  फ़रवरी (1)
    • ►  जनवरी (1)
  • ►  2016 (14)
    • ►  दिसंबर (3)
    • ►  सितंबर (5)
    • ►  अप्रैल (2)
    • ►  मार्च (3)
    • ►  फ़रवरी (1)
  • ►  2015 (30)
    • ►  दिसंबर (4)
    • ►  अक्तूबर (7)
    • ►  सितंबर (2)
    • ►  जून (6)
    • ►  मई (4)
    • ►  अप्रैल (2)
    • ►  मार्च (3)
    • ►  फ़रवरी (1)
    • ►  जनवरी (1)
  • ►  2014 (39)
    • ►  दिसंबर (7)
    • ►  नवंबर (3)
    • ►  अक्तूबर (3)
    • ►  सितंबर (9)
    • ►  अगस्त (3)
    • ►  जुलाई (2)
    • ►  जून (1)
    • ►  मई (5)
    • ►  अप्रैल (6)
  • ►  2013 (41)
    • ►  दिसंबर (1)
    • ►  नवंबर (4)
    • ►  अक्तूबर (8)
    • ►  सितंबर (20)
    • ►  अगस्त (7)
    • ►  अप्रैल (1)
  • ►  2012 (12)
    • ►  नवंबर (5)
    • ►  अगस्त (2)
    • ►  अप्रैल (3)
    • ►  मार्च (1)
    • ►  जनवरी (1)
  • ►  2011 (9)
    • ►  अगस्त (1)
    • ►  मई (1)
    • ►  अप्रैल (6)
    • ►  मार्च (1)
चित्र विंडो थीम. Blogger द्वारा संचालित.