मंगलवार, 13 नवंबर 2012

गाँधी वालों का लोक -


गाँधी वालों का लोक -
एक दिन प्रातःकालीन अल्पाहार के बाद हमलोग बैठे थे। बाबा ने कहा ये बताओ कि मैं मरने के बाद कहाँ जाऊँगा। वैष्णव लोग विष्णु लोक में, शैव शिव लोक में तो हम गाँधी वालो के लोक का निर्माण हुआ या नहीं यह तो पता हीं नहीं तो मैं कहाँ जाऊँगा? मैं ने भी उसी लहजे में कहा - अभी परलोक संबंधी शास्त्रों में गाँधीलोक का वर्णन तो है नहीं और बौद्ध या जैन भी पूरी तरह गाँधीवालों को स्वीकार करेगें या नहीं क्या पता?
उन्होनें कहा कि परलोक भी मन की सृष्टि है। इसीलिये पिताजी गो लोक (विष्णुलोक) में गये। ऐसा उन्होने मरते समय बताया। मैं ऐसा करता हूँ कि होश में मरता हूँ। जब होश में मरूँगा तो पैदा होना अपने वश में रहेगा तब कुछ उपाय भी करते बनेगा। वय की दृष्टि से भी 80 पार कर गया हूँ। चलते-फिरते मर जाना ठीक रहेगा। अतः आज से मरने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

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