रविवार, 31 मई 2015

बाबू जगजीवन राम और इंदिरा गांधी की स्मरण शक्ति

बाबू जगजीवन राम और इंदिरा गांधी की स्मरण शक्ति
एक किरानी अफसर से मंत्री तक को कई बार नचा लेता है, क्यों? क्योंकि बड़े अफसर और मंत्री तक कई पेजों वाले लंबे नोट्स पढ़ते समय भी स्मरण नहीं रख पाते और खीज कर फाइल पटक देते हैं, फाइलें पेंडिंग हो जाती हैं या बिना पढ़े ही दस्तखत हो कर आ जाती हैं।
मेरे एक वरिष्ठ, पत्रकार, पुराने कांग्रेसी-समाजवादी मित्र ने बताया कि जगजीवन राम लंबा सा लंबा फाइल नोट पढ़ कर टिप्पणी कर सकते थे, किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि उन्हें कोई गुमराह कर सके। इसके उलट 1 या 2 पैराग्राफ से अधिक का नोट्स पढ़ना इंदिरा गांधी के वश में नहीं था तो एक बार उनके पास फाइलों की अंबार लग गई। लिहाजा लंबे नोट्स को छोटा करने के लिये एक विशेष सचिव नियुक्त किये गये।
यह धृति न केवल स्मरण शक्ति को मजबूती देती है बल्कि अपने मातहद को भी धोखा देने के दुस्साहस से रोकती है। आप जल्दी उत्तेजित नहीं होते हैं और विषम स्थितियों में भी हंस सकते हैं।
मैं ने अपने बचपन में भरी सभा में 1 बार जगजीवन बाबू को कई मिनटों तक भाषण देने से रोके रखा क्योंकि माइक मेरे कब्जे में थी। इतने में तो कई लोग आयोजकों पर या मेरे जैसे बच्चे पर अवश्य नाराज हो जाते।

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